आज के बदलते परिवेश में मानसिक अवसाद से ग्रसित हो रहे युवा

Sanvika k

आज के बदलते परिवेश

आज की युवा पीढ़ी और पुरानी वाली पीढ़ी में बहुत अंतर देखने को मिल रहा है। पहले के लोग अपनी मेहनत से सारा काम करते थे और खुश रहते थे। वहीं, आज के युवा के मोबाइल, लैपटॉप से पूरी दुनिया को फतेह करने की कोशिश में मानसिक अवसाद के शिकार हो रहे हैं। तरह तरह की बीमारियां हो रही हैं। पढ़ाई, नौकरी की चिंता अवसाद और तनाव को जन्म दे रहा है। सोशल मिडिया का बढ़ता प्रभाव लोगों की पहले की यादों को धूमिल कर रही है। बीते 75 सालों में कई बदलाव हुए हैं।

बुजुर्ग पीढ़ी उन बदलावों को तेजी से हुए घटनाक्रम मान रही है तो युवा वर्ग इसे नए युग की तरफ अग्रसर कदम बता रहे हैं। कई बदलाव समय के साथ बहुत जरूरी थे, मगर अब लोग उन सभी सुविधाओं के आदी होते जा रहे हैं। पहले लोग पैदल चलते थे, मगर अब सड़कों का जाल बिछ गया है और वाहनों की संख्या बढ़ गई है। सोशल मीडिया ने आपसी प्रेम को दूर कर दिया है। पहले लोग एक-दूसरे मिलकर बधाई दिया करते थे, खत लिखकर हर दुख-सुख साझा करते थे।

अब तो सबकुछ वाट्सअप ने ले लिया है। आज समाज बदल चुका है। बदलाव ने रीति रिवाज से लेकर रहन-सहन को बदल दिया है। आज कुछ समाजसेवी सामाजिक जिम्मेदारियों का निर्वाह करते हुए सामाजिक सरोकारों को बनाए रखने में अहम भूमिका अदा कर रहे हैं। आज के युवा सालों पहले की बात याद नहीं करते हैं। पहले के लोग साइकिल चलाना, पार्क में मौज-मस्ती करना, फ़िल्में देखना और खेलकूद करना पसंद करते थे। आज इससे इतर लोग सोशल मीडिया पर समय बर्बाद कर रहे हैं।

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