2025 महाकुंभ का क्या है महत्व व् Prayagraj KumbhMela 2025 आयोजन क्यों 12 साल बाद ही आयोजन होता है महाकुंभ

Sanvika k

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Kumbh Mela 2025

जाने कुंभ का अर्थ

कुंभ (संस्कृत: कुम्भ) भारत में एक कच्ची मिटटी बर्तनो का एक प्रकार है। इसे मुख्या रूप से कुम्भारो से द्वारा बनाया जाता है जिन्हे हम प्रजापति कहते है। कुंभ देवी गंगा (एक पूर्ण कलश ) के रूप में दिखया गया है। जैन, हिन्दू , और बौद्ध पौराणिक कथाओं के सन्दर्भ में, कुंभ गर्भ का प्रतीक भी माना जाता है।

कुंभ किसका प्रतिक है

बाते दे कि हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार कुम्भ उस दिव्य बर्तन का प्रतीक माना जाता है, जो कि ब्रहाण्डीय महासागर के मंथन के दौरान निकला था, जिसमे “अमृत” नामक दिव्य अमृत था। बात करे रूपकात्मक रूप से महाकुंभ मानव रूप का प्रतिनिधित्व करता है, साथ ही इसके अंदर का अमृत व्यक्ति में निहित आध्यात्मिक सार का प्रतिक है।

कुंभ क्यों लगता है

आपको जान कर हैरानी होगी की कुम्भ मेला क्यों लगता है, जयंत अमृत कलश को लेकर भागते रहे और इसी दौरान अमृत की कुछ बुँदे पृथ्वी के चार स्थानो – जैसे की- हरिद्वार, उज्जैन, नासिक, और प्रयागराज (इलाहाबाद) पर गिर गई। इसलिए इस जगह को पवित्र माना जाता है और यहाँ पर कुंभ मेले का आयोजन होता है।

कितने दिनों बाद लगता है कुंभ

यह 12 साल के बार इस चार स्थनों जैसे की- हरिद्वार, उज्जैन, नासिक, और प्रयागराज (इलाहाबाद) कुम्भ मेला आयोजित होता है। यह इसलिए लगाया जा है कि क्योकि यह पौराणिक अमित कलश की कथा, खगोलीय घटनाओं और कई अन्य धार्मिक मान्यतओं से जुड़ा होता है।

दो तरह के कुंभ होता है

आपको बताते चले कि प्रयागराज (इलाहाबाद) में 12 बार पूर्ण कुंभ हो जाते है, तो उसे एक महाकुंभ का नाम दिया जाता है। पूर्णकुंभ 12 वर्ष में एक बार लगता है। साथ ही इस प्रकार गणना करें यह 144 सालों में एक बार आयोजित होता है। ऐसी वजह से इसको महाकुंभ कहा जाता है।

12 बर्ष में ही क्यों होता है महाकुंभ का आयोजन

बता दे कि हरिद्वार, उज्जैन, नासिक, और प्रयागराज (इलाहाबाद) प्रत्येक 12 के अतंराल पर होता है. हर स्थान पर 12 वर्षो में एक बार कुंभ मेला आयोजित होता है साथ इसके अलावा अर्ध कुंभ मेला प्रयागराज और हरिद्वार में 6-6 बर्षो के बाद आयोजन किया जाता है। कुंभ मेला समुद्र मंथन की कथा है।

क्या है महत्त्व कुंभ स्नान का

धार्मिक मान्यतओं के अनुसार यह बताया जाता है कि महाकुंभ में संगम में शाही स्नान करने से जातक को मोक्ष की प्राप्ति होती है। तथा उसके जीवन के समस्त पाप काटते है, संगम को त्रिवेणी भी कहते है, इसलिए त्रिवेणी संगम में स्नान करते है।

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