आज भारत का एजुकेशन सिस्टम जिस तरह से आधुनिकीकरण की ओर बढ़ रहा है यह हमें हमारी संस्कृति से अलग कर रहा है। आज हर कोई अपने बच्चों को इंग्लिश मीडियम में पढ़ना चाहता है बच्चों को बुनियादी शिक्षा नहीं मिल पा रही है। बच्चे अपना संस्कार भूलते जा रहे हैं। वही पहले के एजुकेशन सिस्टम की बात करें तो गुरुकुल शिक्षा काफी प्रेरणादाई रही है। गुरुकुल के बच्चे हमेशा से अपने धर्म के प्रति जागरूक रहे हैं। वह अपनी धर्म की रक्षा के pसाथ-साथ रण कुशलता में भी परिपक्व रहे हैं। लेकिन हैरानी की बात यह है कि आज गुरुकुल शिक्षा सिमटी जा रही है। हर कोई अपने बच्चों को इंग्लिश मीडियम की पढ़ाई कर रहा है। पहले आठ से दस वर्ष की आयु में बच्चे गुरु के सानिध्य मे रहकर पढ़ाई करते थे। गुरु के निर्देशों का पालन करते थे। बच्चे स्वयं दिनचर्या के सभी कार्य करते थे। वे अपने उपयोग की सामाग्री का निर्माण भी स्वयं करते थे।
भारत में गुरुकुल परंपरा सबसे पुराने व्यवस्था रही है। भारत को विश्व गुरु बनाने में इसकी भूमिका महत्वपूर्ण रही है। आज जिस तरह से इसका अस्तित्व खतरे में है उसे हम सभी को मिलकर सजोने सवारने की जरूरत है। पहले गुरुकुल में छात्र इकट्ठे होते थे और अपने गुरु से वेद पुराण के रहस्य सीखते थे। आज भी गुरुकुल की शिक्षा है मगर इतनी सीमित मात्रा में है कि यदि इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो हमारी पुरानी संस्कृति हमसे धीरे-धीरे दूर हो जाएगी।
यह भी पढ़े:-https://bhartiyswadeshi.com/take-special-precautions-in-winter-otherwise-seasonal-diseases-may-make-you-ill/
छात्रों को बेहतरीन शिक्षा तभी मिल सकती है जब उनके अंदर व्यावहारिक ज्ञान हो। बच्चों को छोटी सी उम्र में ही धर्म का ज्ञान सिखाया जाना चहिए। यह तभी सम्भव है जब बच्चा गुरुकुल शिक्षा ग्रहण करे।
Video Credit : YouTube Channel-Mamta Panniwal